एकलव्य (महाभारत आरंभ है प्रचंड) अध्याय 5
पृथ्वी लोक पर तेज तूफान आता है, जिस वजह से सब कुछ अस्त-व्यस्त होने लगता है, एकलव्य को एहसास होता है कुछ भयावय होगा ये तूफान कोई साधारण तूफान नहीं है। एकलव्य आँख बंद करता है और वो भोलेनाथ के पास चला जाता है उनसे कहते है! एकलव्य - हे नाथों के नाथ मेरे नाथ ये तूफान कैसा तूफान है, मुझे क्यों लग रहा है की कुछ शुभ संकेत नहीं है आप हमें बताए नाथ भोलेनाथ- हाँ तुम सत्य कहे रहे हो और मै किसी के वचन मे पूरी तरह से बंध गया हूँ। एकलव्य - तो मतलब किया है आपका बताइये ? भोलेनाथ - तुम्हारी मदद इस पूरी श्रीष्टि में सिर्फ एक ही कर सकते है वो हनुमान है हनुमान ही है जो मुझसे युद्ध कर सकते है और मुझे प्रसन्न भी एकलव्य - मतलब मै कुछ समझा नहीं आपसे युद्ध तो क्या आपने शुक्राचार्य को वचन दिया है? भोलेनाथ - हाँ एकलव्य मै वचनबद्द हूँ। एकलव्य - नहीं ये मुझसे नहीं होगा नाथ आप हमारे गुरु है आप हमारे सब-कुछ है हम आपसे युद्ध की नहीं सोच सकते है। भोलेनाथ - हम अपना वचन नहीं तोड़ रहे है तो तुम क्यों पीछे हट रहे हो हमने तुमको बोला है न तुम्हारी मदद सिर्फ हनुमान ही कर पाएंगे और हनुमान मेरा ही स्वरूप है। एकलव्य - तो आप ...